डिप्लोमा इन सुजोक (हिंदी)

 फी: Rs 5400

Demo video class link

 

कोर्स हाईलाईट्स

 *         घर बैठे इस जादुई चिकित्सा पद्धति को समझें ।

*         सुजोक चिकित्सा पद्धति के मूल सिद्धान्त, निदान व उपचार की विधियाँ तथा सुजोक में प्रयोग होने वाले यंत्रों के बारे में विस्तार से समझाया गया है ।

*        एक टेस्ट के बाद डिप्लोमा भेजा जायेगा बिना  किसी अतिरिकत्त शुल्क के

*        15 प्री-रिकार्डेड विडियो क्लासेस व 15 अध्याय पीडीऍफ़ फॉर्म में उपलब्ध ।

 

इस जादुई चिकित्सा पद्धति को सीखना चाहते हैं तो आज ही प्रवेश लें

 निर्देश भाषा :  हिंदी

 सुजोक चिकित्सा पद्धति क्या है?

यह एक एक्यूप्रेशर पद्धति के आधार पर बनी है जो प्रभावी परिणाम देने के लिए प्रसिद्ध है ।  वास्तव में यह एक्यूप्रेशर से आगे की पद्धति है । इस पद्धति में SU का मतलब है हाथ और JOK का मतलब है पैर - इसलिए इस पद्धति में हाथ व पैरों का प्रयोग किया जाता है    चिकित्सा के लिए जब कोई अंग रोगी हो जाता है तो हाथ व पैर में उसका एक ऐसा बिंदु होता है जहाँ छूने से दर्द होता है । इस बिंदु को उस अंग का सादृशय बिंदु कहते हैं । इन्ही सादृशय बिन्दुओं का उपचार करने पर रोगी अंग ठीक हो जाता है । इस पद्धति में यही सिखाया गया है कि इन सादृशय बिन्दुओं को कैसे पहचाने, कैसे उन्हें ढूंढें व उनका उपचार करें । इसमें न केवल शारीरिक रोगों का उपचार किया जाता है अपितु मानसिक व अध्यात्मिक रोगों का भी उपचार भी संभव है । इसमें न केवल रोगों का उपचार कर सकते हैं पर उनका निदान भी किया जा सकता है ।

इस पद्धति में कई उन्नत तकनीकों व यंत्रों का प्रयोग होता है । उन तकनीकों व यंत्रों को उपयोग करना भी इसमें सिखाया गया है । यह एक अत्यधिक सुरक्षित प्रणाली है जिसका कोई भी दुष्प्रभाव नहीं हैं । यह बहुत आसान है और इसे कोई भी सरलता से सीख सकता है । इसका प्रभाव इतना शीघ्र होता है कि मैं इसे जादू की छड़ी कहता हूँ ।

इस कोर्से में आप क्या सीखेंगे?

सुजोक चिकित्सा के  सिद्धान्त,  मूल सादृशय प्रणाली, कीट प्रणाली, मिनी सादृशय प्रणाली, सटीक सादृश्य बिन्दुओं को ढूंढना, सादृश्य बिन्दुओं का उपचार, आदि । इसके अतिरिक्त रोगों के  लक्षण व कारण तथा उनका उपचार भी समझाया गया है ।

मुख्य विशेषताएँ

 

1.      आप एक चिकित्सक बन सकते हैं।

2.      आप किसी भी प्राकृतिक चिकित्सा या वैकल्पिक चिकित्सा अस्पताल में नौकरी पा सकते हैं।

3.      यह एक्यूप्रेशर के व्यवसाय में आप की मदद कर सकता है ।

4.      आप अपने परिवार व दोस्तों का इलाज कर सकते हैं।

5.      यह पद्धति विश्व स्वास्थय संस्थान, जेनेवा के द्वारा मान्यता प्राप्त है।

6.      अगर आप अपने में उत्कृष्ट हैं तो आप पुरुस्कार पा सकते हैं।

7.      आप अपनी नियमित आय के अतिरिक्त आय कम सकते हैं ।

8.      आप अपने काम से समाज में नाम पा सकते हैं ।

9.      यह पद्धति सीखने में बहुत सरल है।

10.   यह पद्धति महंगी नहीं है और १००% सुरक्षित है।

11.   यह पद्धति हाथ और पैरों पर की जाती है पर इसका प्रभाव पूरे शरीर पर होता है।

12.   यह पद्धति बहुत प्रभावशाली है और इसका परिणाम बहुत शीघ्र मिलता है।

13.   इस पद्धति में अधिकतर यन्त्र त्वचा के ऊपर ही प्रयोग में लाये जाते हैं।

14.   यह पद्धति किसी भी प्रणाली के साथ की जा सकती है ।

15.   इस पद्धति का कोरिया, रुस, भारत, अमेरिका, युरोप, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिणी अमेरिका, व सुदूर पूर्व के कई देशों में प्रयोग किया जाता है।

16.   यह अल्पकालीन इलाज नहीं है, इससे पूर्ण इलाज भी संभव है।

17.   इस पद्धति से निदान भी किया जा सकता है।

18.   इस पद्धति में कई प्रकार की निदान व उपचार विधियाँ है।

19.   इसमें न केवल शारीरिक रोगों का उपचार किया जाता है अपितु मानसिक व अध्यात्मिक रोगों का भी उपचार भी संभव है।

20.   यह पद्धति एक जादू की छड़ी है जिसका प्रयोग कहीं भी, कभी भी किया जा सकता है।

21.   हिंदी में सुजोक पद्धति सीखने के लिए बहुत कम संस्थान हैं तथा हिंदी में अपनी पाठ्य सामग्री देने वाला तथा विडियो क्लास के द्वारा पढ़ाने वाला संस्थान तो शायद यह अकेला ही है ।

22.   बहुत सस्ता तथा घर बैठे ऑनलाइन सीखने की सुविधा ।

 

विडियो प्रीरिकोर्डड क्लासेस : 15

टेक्स्ट अध्याय : 15

 पाठ्यक्रम

 

अध्याय

विषय

खंड 1

 

1

सुजोक के सिद्धान्त व मूल सादृशय प्रणाली

मुख्य सादृशय बिंदु

सटीक सादृशय बिन्दुओं की खोज

चिकित्सा उपकरण व विधियाँ

मूल उपचार विधियाँ

अन्य सादृशय प्रणालियाँ : कीट व मिनी सादृशय प्रणालियाँ

खंड २

 

रोगों का उपचार : मस्तिष्क

रोगों का उपचार : चेहरा, कान, आँख, नाक, गला व मुंह

रोगों का उपचार : छाती, स्तन, फेफड़े, ह्रदय

१०

रोगों का उपचार : मेरुदंड व भुजाएं

११

रोगों का उपचार : पेट : आमाशय, यकृत, पित्ताशय, छोटी आंत, बड़ी आंत, अग्नाशय

१२

रोगों का उपचार : त्वचा, यौनांग, मासिक धर्म समस्याएं

१३

रोगों का उपचार : बवासीर, रक्त स्त्राव, गुर्दों व मूत्रमार्ग की समस्याएं

१४

रोगों का उपचार : टाँगे, जोड़ व अन्य

१५

परिक्षण व उपचार संबंधी निर्देश